अस्तित्व से परे की यात्रा
हे महान ईश्वर!
हम उस भव्य दृश्य को निहारते हैं जो आपने हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है, आपके सबसे वास्तविक और हृदय को छूने वाले शब्द जो सबसे पूर्ण रूप में है, जिसे हम एकटक देखते हैं। हम वस्तुओं और घटनाओं को निहारते है, उनके अंतरसंबंध में, जो आपकी भ्रमित करने वाली तस्वीर के सबसे प्रखर और समानुपातित है। आपके सौंदर्य का प्रकटीकरण प्रकृति के हृदय से विभिन्न प्रकार के सारे रंग ऐसे प्रकट होते हैं जैसे कला की पुस्तक में होता है। आपके कलम के लिखावट के द्वारा हम आपका ध्यान करते हैं, और जो पुस्तक आपने उस कलम से लिखी है उसके अनुसार, हमारी आत्मा ने पंख प्राप्त किए है, और और आपके नाम के प्रकाश में सभी वस्तुओं के स्रोत की दृष्टि हमने प्राप्त की है। ध्वनि और संगीत का दिव्य सुरीलापन प्रत्येक जगह सुनाई देता है, और हमारा दिल उस पवित्र वास्तविक कृति के रहस्य से सम्मोहित है जो सभी चीजों का उद्गम हैं
हृदय की आँखों से हमने आस्था के बीच और स्वर्ग में स्थित “तौबा” वृक्ष (जिसमें वो बीज वृद्धि करेगा) के बीच के मूलभूत समानता को समझा है। हम अस्तित्व से परे के क्षेत्र में अपनी यात्रा को बढ़ाने के लिए आगे बढ़े हैं। इस यात्रा में आपकी पवित्र पुस्तक से हमारी आत्माओं ने मार्गदर्शन प्राप्त किया है, आपके नाम और गुणों की दृष्टि उसे अमरत्व की ओर ले जाती है। आपने हमें आपकी ओर ले जाने वाली यात्रा की व्याख्या की है, उसकी पूरी रूप रेखा दी है और अपने पवित्र सेवक, उन्हें आशीर्वाद और शांति प्रदान हो, के उद्गम के रूप में और आपकी उपस्थिति के साथ स्वर्गों तक उनकी चमत्कारिक चढ़ाई के रूप में दृश्य प्रदान किया है। ये यात्रा किसी भी स्त्री या पुरुष के लिए संभव है जो अपनी आत्मा द्वारा आपका ज्ञान रखता है। यदि आपके रहस्यों की दरवाजे की चिटकनी को छूने की दिशा से हम दूरे गए हैं तो हम अपनी असभ्य, अपरिपक्व आत्माओं के अशिष्ट व्यवहार के लिए क्षमा चाहेंगे जो नियमों और स्वामित्व से अज्ञान है।
हे महान और सुंदर सृजनहार, जिसमें हमें अस्तित्व प्रदान किया और अनंत सुख को अनुभव करने की अनुमति प्रदान की। आपने एक पुस्तक के रूप में वृहद संसार हमारे लिए खोल दिया है। आपने हमारी चेतना को एक आधार बना दिया है जिस पर आपके दिव्य रहस्य स्थान प्राप्त करते हैं और उन रहस्यों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें तैयार करते हैं। यदि उस पुस्तक के रूप में उस भव्य संसार को हमारे समक्ष ना उजागर किया होता, यदि आपने स्वयं को हमारे समक्ष ना प्रकट किया होता, हमारे समझने के सामथ्र्य के अनुसार, पैगम्बरों को भेज कर, तो कभी आपको न जान पाते।
यदि आपने प्रकृति और हमारे आंतरिक अनुभवों के बीच संबंध ना स्थापित किया होता, और हमें अंतर्निहित ज्ञान से संपन्न न किया होता जिसके द्वारा हम सच्चे ज्ञान और सच्चे आध्यात्म विद्या तक पहुँच सके, तो हम आपके दिव्य सत्व को जानने की आशा कभी नहीं कर सकते थे। फिर हम आपके मार्ग के लिए श्रद्धा का अनुभव कैसे कर सकते थे, हम आपके बंधु सेवक है, और हमारी चेतना में प्रतिबिंबित होने वाला तत्क्षण प्रकाश आपके अस्तित्व से आने वाली किरणें हैं। जो कुछ हम एक बार ये पुनः बताते हैं और स्वीकार करते हैं कि हम आपके आज्ञाकारी गुलाम हैं जो कभी आजादी नहीं चाहता, बल्कि वो उस संबंध को नवीनीकृत करते रहना चाहता है।
हे दिलों पर राज करने वाले, जिसको याद करने और जिनको ध्यान करने से हृदय स्थिर हो जाते हैं, हम आपकी ओर ले जाने वाले मार्ग और आपके अस्तित्व की ओर खुलने वाली खिड़की का ज्ञान प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं। कभी-कभी हम चीजों और घटनाओं की वास्तविकता में घुस कर उसे प्राप्त करते हैं, और कभी-कभी अपने अज्ञानता पर भरोसा करके। हमारा लक्ष्य है कि आपसे प्राप्त हुए ज्ञान को उन लोगों तक पहुंचाएं जिनके हृदय रोग ग्रस्त हैं और जिनके मस्तिष्क बंजर हैं और परम सत्य के प्रति आस्थावान रहे कि हमें सबसे स्पष्ट मार्ग दिखाया गया है।
निःसंदेह हमनें बहुत सी गलतियां की हैं और अपने मोह माया और अपने मन की तरंगों में आसक्त है जिस कारण उस परम सत्य को सत्व शुद्ध रूप में अर्पण करने मं सक्षम नहीं रहे।
यदि हमने त्रुटियाँ की हैं, हमने आपकी खोज में और दूसरों के मार्गदर्शन की कोशिश के दौरान की है। यदि हमने त्रुटियाँ की हैं, तो हमने आपको प्राप्त करने के मार्ग में की है। किन्तु त्रुटि तो त्रुटि है। टूटे हुए हृदय, दोगुने उत्साह के साथ और गले में फंदे के साथ आपके दयापूर्ण न्याय की अपील करते हैं। हम ये स्वीकार करते हैं कि ये जानते हुए कि आपकी अबाध्य दया सदा आपके क्रोध पर विजय प्राप्त करती है। ये आपके विनम्र गुलामों के लिए नहीं बन रहा है विशेष कर उनके लिए जिन्होंने उनको गलती करने को स्वीकृति दिया है। फिर भी यदि वे ऐसा करते हैं, मुझे शिष्टापूर्ण टिप्पणी की अनुमति देते हैं कि दया और क्षमा आपके लिए है।
हे मेरे हृदय पर राज करने वाले शासक जो उत्कृष्ट शैली का मालिक है जो उसको शोभा देती है, ठीक वैसे ही जैसे दासत्व एक दास को शोभा देता है। यदि आप हमें क्षमा करें, हमें आपकी ब्रह्माण्ड की पुस्तक का नए सिरे से अध्ययन करना चाहिए जिससे कि हम उस ध्वनि को ध्यान से सुन सकें जो आपके बारे में बताती है। हमें आपके अस्तित्व के चिह्नों को देखने की चाहत करनी चाहिए, और आपके बारे में गीतों द्वारा आनंद विभोर होने की चाह रखनी चाहिए जिससे हम आपके पवित्र परिमंडल में पहुंच सकें। आपके करूणा द्वारा जरूरत मंदो की सहायता कर सकें।
अस्तित्व से परे की यात्रा
हे महान ईश्वर!
हम उस भव्य दृश्य को निहारते हैं जो आपने हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है, आपके सबसे वास्तविक और हृदय को छूने वाले शब्द जो सबसे पूर्ण रूप में है, जिसे हम एकटक देखते हैं। हम वस्तुओं और घटनाओं को निहारते है, उनके अंतरसंबंध में, जो आपकी भ्रमित करने वाली तस्वीर के सबसे प्रखर और समानुपातित है। आपके सौंदर्य का प्रकटीकरण प्रकृति के हृदय से विभिन्न प्रकार के सारे रंग ऐसे प्रकट होते हैं जैसे कला की पुस्तक में होता है। आपके कलम के लिखावट के द्वारा हम आपका ध्यान करते हैं, और जो पुस्तक आपने उस कलम से लिखी है उसके अनुसार, हमारी आत्मा ने पंख प्राप्त किए है, और और आपके नाम के प्रकाश में सभी वस्तुओं के स्रोत की दृष्टि हमने प्राप्त की है। ध्वनि और संगीत का दिव्य सुरीलापन प्रत्येक जगह सुनाई देता है, और हमारा दिल उस पवित्र वास्तविक कृति के रहस्य से सम्मोहित है जो सभी चीजों का उद्गम हैं
हृदय की आँखों से हमने आस्था के बीच और स्वर्ग में स्थित “तौबा” वृक्ष (जिसमें वो बीज वृद्धि करेगा) के बीच के मूलभूत समानता को समझा है। हम अस्तित्व से परे के क्षेत्र में अपनी यात्रा को बढ़ाने के लिए आगे बढ़े हैं। इस यात्रा में आपकी पवित्र पुस्तक से हमारी आत्माओं ने मार्गदर्शन प्राप्त किया है, आपके नाम और गुणों की दृष्टि उसे अमरत्व की ओर ले जाती है। आपने हमें आपकी ओर ले जाने वाली यात्रा की व्याख्या की है, उसकी पूरी रूप रेखा दी है और अपने पवित्र सेवक, उन्हें आशीर्वाद और शांति प्रदान हो, के उद्गम के रूप में और आपकी उपस्थिति के साथ स्वर्गों तक उनकी चमत्कारिक चढ़ाई के रूप में दृश्य प्रदान किया है। ये यात्रा किसी भी स्त्री या पुरुष के लिए संभव है जो अपनी आत्मा द्वारा आपका ज्ञान रखता है। यदि आपके रहस्यों की दरवाजे की चिटकनी को छूने की दिशा से हम दूरे गए हैं तो हम अपनी असभ्य, अपरिपक्व आत्माओं के अशिष्ट व्यवहार के लिए क्षमा चाहेंगे जो नियमों और स्वामित्व से अज्ञान है।
हे महान और सुंदर सृजनहार, जिसमें हमें अस्तित्व प्रदान किया और अनंत सुख को अनुभव करने की अनुमति प्रदान की। आपने एक पुस्तक के रूप में वृहद संसार हमारे लिए खोल दिया है। आपने हमारी चेतना को एक आधार बना दिया है जिस पर आपके दिव्य रहस्य स्थान प्राप्त करते हैं और उन रहस्यों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें तैयार करते हैं। यदि उस पुस्तक के रूप में उस भव्य संसार को हमारे समक्ष ना उजागर किया होता, यदि आपने स्वयं को हमारे समक्ष ना प्रकट किया होता, हमारे समझने के सामथ्र्य के अनुसार, पैगम्बरों को भेज कर, तो कभी आपको न जान पाते।
यदि आपने प्रकृति और हमारे आंतरिक अनुभवों के बीच संबंध ना स्थापित किया होता, और हमें अंतर्निहित ज्ञान से संपन्न न किया होता जिसके द्वारा हम सच्चे ज्ञान और सच्चे आध्यात्म विद्या तक पहुँच सके, तो हम आपके दिव्य सत्व को जानने की आशा कभी नहीं कर सकते थे। फिर हम आपके मार्ग के लिए श्रद्धा का अनुभव कैसे कर सकते थे, हम आपके बंधु सेवक है, और हमारी चेतना में प्रतिबिंबित होने वाला तत्क्षण प्रकाश आपके अस्तित्व से आने वाली किरणें हैं। जो कुछ हम एक बार ये पुनः बताते हैं और स्वीकार करते हैं कि हम आपके आज्ञाकारी गुलाम हैं जो कभी आजादी नहीं चाहता, बल्कि वो उस संबंध को नवीनीकृत करते रहना चाहता है।
हे दिलों पर राज करने वाले, जिसको याद करने और जिनको ध्यान करने से हृदय स्थिर हो जाते हैं, हम आपकी ओर ले जाने वाले मार्ग और आपके अस्तित्व की ओर खुलने वाली खिड़की का ज्ञान प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं। कभी-कभी हम चीजों और घटनाओं की वास्तविकता में घुस कर उसे प्राप्त करते हैं, और कभी-कभी अपने अज्ञानता पर भरोसा करके। हमारा लक्ष्य है कि आपसे प्राप्त हुए ज्ञान को उन लोगों तक पहुंचाएं जिनके हृदय रोग ग्रस्त हैं और जिनके मस्तिष्क बंजर हैं और परम सत्य के प्रति आस्थावान रहे कि हमें सबसे स्पष्ट मार्ग दिखाया गया है।
निःसंदेह हमनें बहुत सी गलतियां की हैं और अपने मोह माया और अपने मन की तरंगों में आसक्त है जिस कारण उस परम सत्य को सत्व शुद्ध रूप में अर्पण करने मं सक्षम नहीं रहे।
यदि हमने त्रुटियाँ की हैं, हमने आपकी खोज में और दूसरों के मार्गदर्शन की कोशिश के दौरान की है। यदि हमने त्रुटियाँ की हैं, तो हमने आपको प्राप्त करने के मार्ग में की है। किन्तु त्रुटि तो त्रुटि है। टूटे हुए हृदय, दोगुने उत्साह के साथ और गले में फंदे के साथ आपके दयापूर्ण न्याय की अपील करते हैं। हम ये स्वीकार करते हैं कि ये जानते हुए कि आपकी अबाध्य दया सदा आपके क्रोध पर विजय प्राप्त करती है। ये आपके विनम्र गुलामों के लिए नहीं बन रहा है विशेष कर उनके लिए जिन्होंने उनको गलती करने को स्वीकृति दिया है। फिर भी यदि वे ऐसा करते हैं, मुझे शिष्टापूर्ण टिप्पणी की अनुमति देते हैं कि दया और क्षमा आपके लिए है।
हे मेरे हृदय पर राज करने वाले शासक जो उत्कृष्ट शैली का मालिक है जो उसको शोभा देती है, ठीक वैसे ही जैसे दासत्व एक दास को शोभा देता है। यदि आप हमें क्षमा करें, हमें आपकी ब्रह्माण्ड की पुस्तक का नए सिरे से अध्ययन करना चाहिए जिससे कि हम उस ध्वनि को ध्यान से सुन सकें जो आपके बारे में बताती है। हमें आपके अस्तित्व के चिह्नों को देखने की चाहत करनी चाहिए, और आपके बारे में गीतों द्वारा आनंद विभोर होने की चाह रखनी चाहिए जिससे हम आपके पवित्र परिमंडल में पहुंच सकें। आपके करूणा द्वारा जरूरत मंदो की सहायता कर सकें।
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