मानवता

दूसरों की बातचीत के दौरान एक मापन की तरह सदा ध्यान रखें कि किससे आपको खुशी मिलती है और किससे दुख होता है। दूसरों लिए भी वही इच्छा रखें जो आपका अहम चाहता है और ये न भूलें कि जो आपको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों को भी बुरा लगेगा। यदि आप ऐसा करते हैं तो न केवल आप दुष्चरित्र और बुरे व्यवहार से बचे रहेंगे बल्कि दूसरों को दुख पहुंचाने से भी बचेंगे।

ये ध्यान रखें कि हमारे लिए कोई कुछ करता है तो उसके लिए हम पे्रम लगाव महसूस करते हैं और उसे पसंद करते हैं। आपको यह समझना चाहिए कि क्या करें जिससे दूसरे आपको पसंद करें और आपसे लगाव व प्रेम रखें। ऐसा कहा गया है कि “लोग अपने ऊपर किए गए उपकारों के गुलाम होते हैं।” इसलिए दूसरों पर किए गए उपकार और उनके साथ अच्छा व्यवहार उनके द्वारा पहुंचाई जा सकते वाली हानि से बचाने वाला विश्वसनीय रक्षा कवच है।

दूसरो से हम कैसा व्यवहार करते हैं, खासकर उनके साथ जिन्होंने हमारे साथ अन्याय किया है वही आत्मा की परिपक्वता और पूर्णता है। उनकी बुराईयों का उत्तर अच्छाईयों से दीजिए। सबके साथ अच्छा करें, उनके साथ भी जिन्होंने आपको नुकसान पहुंचाया। बल्कि उनके साथ मानवता और कुलीनता से व्यवहार करें क्योंकि किसी को नुकसान पहुंचाना पाशविक व्यवहार है। बुराई का उत्तर बुराई से देना चरित्र की कमी दर्शाता है, बुराई के बदले अच्छाई श्रेष्ठता दर्शाता है।

दूसरों के साथ अच्छा करने की कोई सीमा नहीं है। जिन्होंन स्वयं को मानवता के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया वे दूसरों के लिए अपने जीवन का बलिदान भी कर सकते हैं। वैसे ये एक महान गुण है जो तभी होता है जब सच्चाई और शुद्धता किसी में है और वो यदि दूसरों को जातिगत प्राथमिकाता के द्वारा परिभाषित ना करता हो।

हमारी मानवता और कुलीनता, हमारे मित्रों के साथ निकटता और इन मित्रताओं की कैसे देखभाल करते है इसके सीधे समानुपाती है। संबंधों में निकटता और गर्माहट दिखाए बिना कुलीनता और अच्छाई की बातें करना खोखले दावे की तरह है। केवल अच्छाई के बदले में अच्छाई करना, या कभी दूसरों को सजा देने के लिए उनसे अच्छा व्यवहार ना करना नैतिक अपूर्णता और अपरिपक्वता है।

दूसरों द्वारा की गई कुछ गल्तियां, अभद्रता, बुरी आदतों को अनदेखा करके उनके अपूर्णता को सहन करना, उनके लिए आपका दयाभाव और अच्छाई दर्शाता है। दूसरों के मामलों में भेद लेना और गलतियां ढूंढना धृष्टता और असभ्यता है और ऐसे मामलों को सबके सामने लाना क्षमा योग्न नहीं है। ऐसा करना लोगों के बीच एकता के बंधन के लिए खतरा है, ऐसा खतरा जिससे मित्रता को बनाए रखना लगभग असंभव है।

जो लोग दूसरों के लिए की गई अपनी बड़ी से बड़ी अच्छाई को नगण्य समझते हैं और दूसरों उनके लिए किए छोटे से छोटे काम की भी बहुत सराहना करते है वे पूर्ण आत्मा हैं जिन्होंने व्यवहार के दिव्य स्तर को प्राप्त कर लिया है, आत्मा की शांति प्राप्त कर ली है। ऐसे व्यक्ति अपने द्वारा की गई अच्छाई कभी दूसरों को याद नहीं दिलाते, दूसरे ऐसा नहीं करे तो कभी शिकायत नहीं करते।