मित्रता

जो लोग अपने मित्रों को ऊँचा स्थान और सम्मान देते हैं वे शुत्रुओं के खिलाफ मित्रों से बहुत समर्थन प्राप्त करते हैं।

निष्ठावान व सच्चे मित्र का जीवन में होना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि जीवन की मुख्य आवश्यकताओं को पूर्ण करना। सुरक्षित और शांतिपूर्ण मित्रता के वातावरण में रहने का अर्थ है बहुत सारे संकट और आपदाओं से सुरक्षा प्राप्त करना।

दुद्धिमान लोग मित्रता में आई दरार के कारणों को तुरंत दूर करके फिर से अच्छे स्थापित कर लेते हैं उससे भी बुद्धिमान वे लोग है जो मित्रो के साथ असहमति से बचने के उपाय पहले से ही कर लेते हैं।

मित्रो के बीच प्रेम और अच्छे संबंध तब तक रहते हैं जब तक वे एक दूसरे को समझते हैं, स्वनिषेध को अपनाते हैं और अनुमति योग्य सीमा में बलिदान करते हैं। ऐसे लोगों के बीच मित्रता नहीं चल सकती जो अपने हित और प्राथमिकताओं को नहीं त्याग सकते।

हम अपने मित्रों के लिए तब तक निष्ठावान रहते हैं जब तक हम उनकी परेशानियां और खुशियां बांटने हैं यदि हम अपने मित्र के दुख में दुखी और सुख में सुखी नहीं हो सकते तो हम सच्चे और निष्ठावान मित्र नहीं कहला सकते।

जो मित्र कठिन समय में मित्रता निभाते हैं वे सच्चे और निष्ठावान मित्र हैं। जो लोग मित्र के दुर्भाग्य के समय में समर्थन व सहायताय नहीं करते उनका सच्ची मित्रता से कोई लेना देना नहीं है।

जो अपने मित्र से असहमत और संघर्षरत रहते है उनके पास बहुत कम मित्र होते हैं। जो लोग निष्ठावान और अधिक मित्रों की इच्छा रखते हैं उन्हें तुच्छ और अनावश्यक विषयों पर मित्रों से असहमत नहीं होना चाहिए।

मित्रता का संबंध व्यक्ति के हृदय और उसकी ईमानदारी से है जो लोग सोचते हैं कि वे छल और पाखंड से अन्य मित्र ढूंढ लेंगे तो वे स्वयं को धोखा देते हैं। अगर कुछ सीधे सादे व्यक्ति उनके पाखंछ और चापलूसी से प्रभावित हो भी गए तो ऐसी मित्रता लंबे समय तक नहीं चलती।