पाप युक्त आत्माएं

लोग सामान्यतः दूसरो को अपनी आत्मा के शीशे के द्वारा देखते हैं और उन्हें स्वयं की तरह ही देखते हैं क्योंकि उस शीशे पर धूल जमी है और दाग लगे हुए हैं। इसलिए दूसरों के प्रति उनका विचार पूर्णतः गलत और अनुचित है। यद्यपि ऐसी अशुद्ध आत्मा वाले पापी लोग दूसरों को घाटे में देखते हैं जबकि वास्तव में वे स्वयं ही घाटे में होते हैं।