सहिष्णुता

ऐसा सहनशील बने कि अपना हृदय समुद्र की तरह विशाल हो जाए। दूसरों के लिए आस्था ओर प्रेम का स्रोत बनें। संकट में फंसे लोगों के लिए सहायता का हाथ बढ़ाए और प्रत्येक व्यक्ति के लिए चिंता करें।

अच्छे लोगों की, उनकी अच्छाई के लिए, प्रशंसा करें, उन लोगों की सराहना करें जिनके मन में विश्वास है, और आस्तिक लोगों के लिए दया की भावना रखें। नास्तिक लोगों से मधुरता से मिलें जिससे उनके भीतर की ईष्र्या और द्वेष दूर हो जाए। मसीहा की तरह अपनी श्वासों से लोगों में नवजीवन का संचार करें।

ध्यान रखें कि आप सर्वोत्तम पथ पर है और उस परम मार्गदर्शक, उन्हें शान्ति प्रदान हो, का अनुसरण करें। सावधान रहें कि आपको उनका मार्गदर्शन सबसे पूर्ण, विशुद्ध और अभिव्यक्तिपूर्ण आकाशवाणी के द्वारा प्राप्त है। अपने न्यायीकरण में साफ और संतुलित मन रखें क्योंकि बहुत से लोगों को ऐसा आशीर्वाद प्राप्त नहीं है।

अनादर और असभ्यता जैसी बुराई का बदला अच्छाई से दें। किसी व्यक्ति का चरित्र उसके व्यवहार में झलकता है। सहनशीलता को चुनें और बुरे व्यवहार के लोगों के लिए उदारन हृदय हो।

आस्था से ओत-प्रोत आत्मा का सबसे विशिष्ट लक्षण है व्यवहार में अभिव्यक्त सभी प्रकार के प्रेम को प्रेम करना, और ऐसे सभी व्यवहार, जिसमें शत्रुता की अभिव्यक्ति होती है, के लिए शत्रुता का अनुभव करना । सभी चीजों से नफरत उन्माद या शैतान के साथ मोह का प्रतीक है।

ईश्वर आको जैसे भी रखे आप उसे स्वीकार करें। इसे आप दूसरों से अपने व्यवहार का मापक बनाएं जिससे आप उनमें सत्य का प्रतिनिधित्व कर सकें और दोनों संसार में अकेलेपन के डर से बचे रहें।

केवल वे लोग जो अपने विवेक का प्रयोग नहीं करते, या जो दैहिक इच्छाओं और मूर्खता के शिकार है वे ऐसा मान चुके हैं कि स्त्रियों और पुरूषों पर विश्वास करना उन्हें हानिकारक हो सकता है। अपने हृदय को झकझोरने के लिए एक आध्यात्मिक गुरू से आवेदन करें और अपने नेत्रों को अश्रु से भर लें।

सृजनहार की नजर में आपका कितना महत्व है, इसे आप अपने मन में उसका कितना स्थान है, से परख सकते हैं और लोगों से आपका व्यवहार कैसा है इससे लोगों की नजर में आपके महत्व की परख होती है एक क्षण के लिए भी सत्य की अवहेलना मत कीजिए। और फिर भी “मनुष्यों के बीच मनुष्य ही रहें।”

ऐसा कोई व्यवहार जो आपको दूसरों से प्रेम के लिए प्रेरित करे उसे ध्यान दें और उसके प्रति सचेत रहे। फिर स्वयं को याद दिलाएं कि आपका ऐसा ही व्यवहार दूसरों को आपसे प्रेम के लिए प्रेरित करेगा। सदा सौम्य व्यवहार करें और सचेत रहे।

किसी विवाद या कलह में अपने भौतिक अहम को निर्णयकर्ता ना बनने दें, क्योंकि वो सदा आप पर शासन करके आपको पापी और दुर्भाग्यशाली बना देगा। सबसे बड़े सत्यवादी, उन्हें शांति प्रदान हो, के अनुसार ऐसा फैसला आपकी विध्वंसकता दर्शाता है। अपने भौतिक अहम के प्रति निर्दयी रहे और दूसरों के प्रति सौम्य और दयावान रहें।

कुल मिलाकर अपनी कीर्ति, सम्मान और प्रेम को संरक्षित करने के लिए सत्य के लिए प्रेम करें, सत्य के लि राग द्वेष करें, और सत्य के प्रति हृदय खुला रखें।