स्त्रियाँ

स्त्रियाँ बच्चों को शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करती है और घर में व्यवस्था, शांति और सौहार्दता स्थापित करती हैं। मानवता मे विद्यालय की वे पहली अध्यापक होती हैं। कुछ स्त्रियाँ अपने लिए समाज में नए स्थान की खोज में रहती हैं, उन्हें हम एक बार फिर याद दिलाना चाहेंगे ईश्वर ने उन्हें पहले से ही एक अद्वितीय स्थान प्रदान किया हुआ है।

जिस घर में एक सम्मानजनक, सुव्यवहार और घर के लिए समर्पित स्त्री का वास है वो घर स्वर्ग के एक कोने की तरह है। उस घर में सुनाई देने वाली ध्वनियां स्वर्ग में सुनाई देने वाली बच्चों की सुरीली आवाज, और स्वर्ग में ’कावतार’ के झरने की कलकलाहट से कम नहीं है।

एक स्त्री की आंतरिक गहराई, सतीत्व और प्रतिष्ठा उसे एक देवता से भी उच्च स्थान प्रदान करती है और उसे अद्वितीय हीरे की तरह बनाती है। असम्मानीय स्त्री एक खोटा सिक्का है और अप्रतिष्ठित स्त्री एक उपहास के योग्य कठपुतली की तरह है। ऐसी स्त्री के विध्वंशनीय वातावरण में स्वस्थ घर और अच्छी पीढ़ी का निर्माण संभव नहीं है।

एक स्त्री अपने आंतरिक संसार में गुणों को जागृत करती है जो कांच के झाड़-फानूस (दीप वृक्ष) की तरह होता है जो प्रत्येक क्षण पूरे घर को प्रकाशवान करता हैं एक मुख्य बात जो एक स्त्री को पता होना चाहिए वो है समाजिक प्रजनन व पालन पोषण।

स्त्री को अक्सर भोग की वस्तु, मनोंरजन का साधन और विज्ञापन की सामग्री की तरह उपयोग में लाया गया हैं वैसे अब तक ये सभी दुर्भाग्यशाली समयकाल स्त्री के नवीनीकरण और विकास के प्रारंभ बिंदू की तरह है जिसके बाद स्त्री सच्चा सत्व प्राप्त कर सके (जैसे रात के बाद दिन आता है)

पहले के समय में पुत्र को “मखदूम” और पुत्री को “करीम” कहा जाता था। अर्थात “पुतली” (आँख की) ये शब्द दर्शाता है कि एक सदस्य कितना मूल्यवान है, जितना मूल्यवान उतना ही आवश्यक और जितना आवश्यक उतना ही कोमल (सुकुमार)।

एक अच्छी स्त्री बुद्धिमत्ता भरी बातें करती है और उत्कृष्ट और विशुद्ध आत्मा रखती है। उसके व्यवहार की सभी प्रशंसा और सम्मान करते हैं। उसका अपनत्व भरा रूप उसके पवित्र रूप को दर्शाता है और अवलोकन की सहज भावना भी दर्शाता हैं।

सीने पर सजाए गए फूल की तरह, एक सुंदर स्त्री अल्प समय के लिए प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर सकती है।, लेकिन यदि उसने अपने हृदय और आत्मा को विकसित नहीं किया तो वो धीरे धीरे ढल जाएगी और एक दिन सूखे पत्तों की तरह जमीन पर आ जाएगी। जिन्होंने अमरत्व के पथ को नहीं प्राप्त किया उनका कैसा दुखद अंत।

प्रत्येक स्त्री एक बहुमूल्य प्रसंशनीय आभूषण है जिसे अपवित्र करके नाले में नहीं फेंका जाना चाहिए। हमें आशा है कि आने वाली सौभाग्यशाली पीढ़ी ज्ञान, आध्यात्मिकता और सत्य की ओर जागृत होगी। जिससे स्त्री एक बार फिर उनकी आँखों का तारा हमारे योद्धाओं के बराबर है।

हमारी स्त्रियां हमारे राष्ट्र के सम्मान और श्रेष्ठता की मज़बूत आधारशिला है। हमारे लम्बे और उत्तम अतीत के निर्माण में उनका योगदान, युद्ध में शत्रुओं से संघर्ष करने वाले हमारे योद्वाओं के बराबर है।

स्त्रियों के अधिकारों और स्वतंत्रता के अधिकतर धुरंधर स्त्री को भौतिक सुख के लिए भड़कते है और उसके बाद उनकी आत्मा को छलनी करते है।

एक अच्छे उत्तराधिकारी को तैयार करके अपने पीछे छोड़ने के लिए उसका धन्यवाद है, आध्यात्मिक रूप से परिपक्व स्त्री का घर निरंतर प्रसन्नता की खुशबू विखेरता है जैसे कि अगरबत्ती। ऐसा स्वर्ग रूपी घर जहां ऐसी खुशबू फैलती है वह स्वर्ग के बगीचे की तरह है जिसकी व्याख्या नहीं की जा सकती है।

एक स्त्री जिसका हृदय विश्वास के प्रकाश से प्रकाशित है और जिसका मस्तिष्क सामाजिक शिष्टाचार और ज्ञान से ओत-प्रोत है वो अपने घर को प्रतिदिन सुंदरता का नया आयाम जोड़ते हुए नया बनाती है। एक दुराचारी स्त्री जो अपने सच्चे अहम को नहीं पहचानती वो बसे बसाए घर को बर्बाद कर देती है और उसे कब्र में परिवर्तित कर देती है।